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Saturday, May 8, 2010

ये तो करिश्मा है मोहब्बत का...

तब तक प्यार से प्यार मत करो,
जब तक प्यार आपसे प्यार न करे।
अगर प्यार आपसे प्यार करे तो,
प्यार को इतना प्यार करो,
कि प्यार किसी और से प्यार न करे।

अगर हम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता?
आपके चहरे को कमल कौन कहता?
ये तो करिश्मा है मोहब्बत का,
वरना पत्थर की दीवार को ताजमहल कौन कहता?

आँसू में ना ढूँढना हमें,
हम तुम्हे आँखों में मिल जायेंगे,
तमन्ना हो अगर मिलने की तो,
बंद आँखों से भी नज़र आएँगे.

जिस दिल ने न आई चोट कभी वो दर्द किसी का क्या जाने,
खुद शमा को मालूम नहीं, क्यूं जल जाते हैं परवाने।
मत पूछो क्या गुज़रती है जुदा जब यार होते हैं,
आँसू तीर बन के जिगर के पार होते हैं।

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