ये और बात है हम तुमको याद आ ना सके
शराब पी के भी हम तुमको भुला ना सके
ये फासलो की है बसती इसी लिये यारो
वो पास आ ना सके हम भी पास जा ना सके
सुकु दिया है ज़माने को मेरे नगमो ने
अज़ीब बात है खुद को ही हम हसा ना सके
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Saturday, May 8, 2010
ये और बात है
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>> अमर प्रेम
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